लेखनी प्रतियोगिता -03-Jul-2022 मां का खाना
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-मां का खाना
मां का खाना
रसोईघर का खजाना
मां के खाने की खुशबू
जैसे मिट्टी में आती खुशबू
चारों तरफ यह महकाती खुशबू
दौड़े-दौड़े आ जाते हम
खाने की होती अच्छी सुगंध
पसंद ना होने पर भी
मां का हाथ का खाना
हम सबको भाता
रह जाता में उंगली चाटता
ऐसा खाना बनाती मेरी माता
बाहर का पिज़्ज़ा रोग बढ़ाता
मां की रोटी बढ़ाती ताकत
भूख ना होने पर भी भूख बढ़ जाती
एक के बदले चार खा जाती
रसोई घर की होती महारानी
मसालों की है जादूगरनी
हमारे लिए मास्टर शेफ कहलाती
हमारे दिलों की मां कहलाती
मां जैसा खाना नहीं है दुनिया में
आता है उसको सब कुछ पकाना
एक वस्तु से चार वस्तु बनाना
बखूबी आता हूं उनको सबकी पसंद बनाना
होटल का भी स्वाद हार जाए
मेरी मां ऐसा खाना बनाती जाए
स्वाद में जायका बढ़ता जाए
मेरी मां का जैसा खाना कहीं नहीं भाये
Chudhary
07-Jul-2022 12:11 AM
Nice
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Shrishti pandey
04-Jul-2022 09:06 PM
Nice
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Punam verma
04-Jul-2022 07:59 AM
Nice
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